भारतीय संस्कृति और भगवान श्री गणेश

श्री गणेश भगवान श्लोक के साथ

भारतीय संस्कृति और सनातन परंपरा में भगवान श्री गणेश का महत्व अद्वितीय है। शुभकार्य करने के पूर्व ‘‘श्रीगणेशायनमः’’ का उच्चारण किया जाता है। क्योंकि गणेश जी की आराधना हर प्रकार के विघ्नों के निवारण करने के लिए किया जाता है। क्योंकि गणेश जी विघ्नेश्वर हैं:- वक्रतुण्ड महाकाय कोटि समप्रभा। निर्विघ्नं कुरू में देव, सर्व कार्येषु सर्वदा।।   

गणेश जी की स्तुति:-

ऊँ गणानां त्वा गणपतिम् हवामहे प्रियाणां त्वा प्रियपतिम् हवामहे निधीनां त्वा निधिपतिम् हवामहे वसो मम।
आहमजानि गर्भधमा त्वमजासि गर्भधम्। ईस श्लोक से गणेश जी का आव्हान किया जाता है।

भगवान श्री गणेश का जन्म प्रसंग

भगवान गणेश के जन्म की कथाएं कई हैं, लेकिन सबसे प्रचलित कथाओं में से एक यह है:

माता पार्वती ने अपने शरीर के उबटन से एक मूर्ति बनाई और उसे जीवनदान दिया। यह मूर्ति गणेश जी के रूप में प्रकट हुई। जब भगवान शिव कैलाश लौटे और गणेश जी ने उन्हें रोकने का प्रयास किया, तो क्रोधित होकर शिव जी ने उनका सिर धड़ से अलग कर दिया। माता पार्वती के विलाप पर शिव जी ने एक हाथी का सिर गणेश जी के धड़ से जोड़ दिया और उन्हें पुनर्जीवित किया।

गणेश जी को विघ्नहर्ता के रूप में पूजा जाता है और माना जाता है कि किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत में उनकी पूजा करने से कार्य में सफलता मिलती है।

अन्य कथाओं में:

 * गणेश जी को माता पार्वती ने पुण्यक व्रत के फलस्वरूप प्राप्त किया था।

 * गणेश जी के जन्म के संबंध में कई पुराणों में भिन्न-भिन्न कथाएं मिलती हैं।

मुख्य बिंदु:

 * गणेश जी का जन्म माता पार्वती के शरीर से हुआ था।

 * भगवान शिव ने गणेश जी का सिर काट दिया था।

 * भगवान शिव ने गणेश जी को पुनर्जीवित किया।

 * गणेश जी को विघ्नहर्ता के रूप में पूजा जाता है।

अधिक जानकारी के लिए आप पुराणों का अध्ययन करें। 


गणेश जी की संपूर्ण आरती

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।

माथे सिंदूर सोहे, मूस की सवारी।

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।

एकदंत दयावंत, चार भुजाधारी।

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।

पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।

लड्डुअन का भोग लगे, जय गणेश देवा।

पिता महादेवा।

'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।

दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।

कामना को पूर्ण करो जय बलिहारी।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।

आरती का महत्व

गणेश जी की आरती का बहुत महत्व है। यह भगवान गणेश को प्रसन्न करने का एक तरीका है। मान्यता है कि गणेश जी की आरती करने से मन शांत होता है, बुद्धि बढ़ती है और सभी कार्य सिद्ध होते हैं।

अन्य जानकारी:

 * गणेश जी: हिंदू धर्म में गणेश जी को विघ्नहर्ता के रूप में पूजा जाता है।

 * आरती: आरती एक धार्मिक अनुष्ठान है जिसमें दीपक जलाकर भगवान की पूजा की जाती है।

शुभकामनाएं!



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