दरोगा(S.I) साहेबा.... पार्ट 1

माफिया का अटैक :-

राजस्थान की ठंडी रातों में भी जो गर्माहट नहीं दबती थी, वह थी क्राइम की गर्म सांसे।

और इस गर्मी में सबसे आगे रहता था —
SI राजेश, अपने विभाग का सबसे तेज़, सबसे शांत, और सबसे खतरनाक दिमाग।
राजेश कई बड़े ऑपरेशन कर चुका था। गैंगस्टर, ड्रग लॉर्ड, हथियार तस्कर—सब उसकी पहचान से डरते थे।
पर यही चीज़ अब उसके लिए मुश्किल बन चुकी थी…
अब माफिया उसे दूर से देखते ही पहचान लेते थे।
इसलिए आज के ऑपरेशन में, राजेश को अपने चेहरे पर नकली दाढ़ी, टोपी और हल्का मेकअप लगाना पड़ा।
उसकी टीम में थीं:
SI कांता मीणा — रफ़, तेज़ दिमाग, और राजेश पर जान छिड़कने वाली
कांस्टेबल महावीर — मजबूत और भरोसेमंद
लेडी कांस्टेबल सीमा — चुप, पर तेज़ निगाह वाली
चारों एक फाइव-स्टार होटल में रूम लेकर रुके हुए थे।
यही पर आज एक बड़ी ड्रग डील होनी थी।
डील शुरू होते ही…
राजेश ने वॉकी-टॉकी में धीरे से कहा:
“सब लोग अपनी जगह पर रहो… अभी नहीं।”
कांता चौंकी —
“सर, इतने करीब मौका फिर नहीं मिलेगा।”
महावीर भी बोला, “सर, ये हाथ से निकल गया तो…!”
राजेश ने सांस रोकी और बोला—
“ये असली खिलाड़ी नहीं… मोहरा है।
इसका पीछा करेंगे — इसके पीछे असली गैंग का सिरा मिलेगा।”
सारे शांत हो गये।
डीलर होटल से बाहर निकला…

और टीम चारों दिशाओं में बंट गई। 

राजेश डीलर के पीछे-पीछे गली में मुड़ा ही था कि अचानक—

सुई जैसी किसी चीज़ ने उसके कंधे में चुभन मारी।

एक सेकंड में धुंध छाने लगी…

पैर लड़खड़ाए…

और वह ज़मीन पर गिरता चला गया।

“ड्रग का डोज़ है…”
उसके भीतर की पुलिस प्रवृत्ति फुसफुसाई।

किसी तरह उसने मोबाइल निकाला और अपनी लोकेशन भेजी।
अगले ही पल उसका शरीर भारी, गर्म और बेहोशी में डूब गया।

सबसे पहले कांता पहुँची।
उसका दिल सचमुच डर से सख्त हो गया।

“राजेश!!”

वह घुटनों के बल बैठी और उसे पकड़ा।
राजेश की साँसें तेज़,
होठ सूखे,
चेहरा पसीने से भीगा हुआ।

कांता को लगा उसकी पूरी दुनिया जैसे टूटने लगी।

महावीर और सविता भी पहुँचे।

“सर को तुरंत हॉस्पिटल—”

राजेश ने करवट बदलते हुए कहा—
“NO… अस्पताल गए तो मिशन खत्म…
मुझे… होटल ले जाओ… आदेश है…”

उसका दिमाग आधा बेहोश था,
लेकिन आदेश आज भी लोहा जैसा मजबूत।

टीम उसे होटल ले गई।

राजेश का शरीर कांप रहा था,

जैसे अंदर कोई आग भड़की हो।

वह बेड पर गिरते ही दर्द से कराह पड़ा।

कांता उसके पास बैठने ही वाली थी कि

राजेश ने आखिरी ताकत से कहा—

“सब… जाओ… आराम करो…”

सविता ने बहादुरी से कहा—

“हम आपको अकेला छोड़कर—”

ये आदेश है!!

मैं कमजोर नहीं हूँ!!

जाओ!!”

उसकी चीख में दर्द भी था और डर भी—

शायद उसे डर था कि उसकी कमजोरी

उसकी टीम को परेशान कर देगी।

टीम भारी मन से बाहर चली गई।

पर एक व्यक्ति था जिसे चैन नहीं आ रहा था—

कांता।

कांता अपने कमरे में थी,

पर नींद?

नींद तो किसी और शहर में जा चुकी थी।

उसके हाथ काँप रहे थे।

दिल बार-बार कह रहा था—

“राजेश अकेला है… उसकी हालत बहुत खराब है…”

10 मिनट…

15 मिनट…

20 मिनट…

आखिर उसने हार मान ली।

वह धीमे कदमों से राजेश के कमरे की ओर बढ़ी।

उसके दिल की धड़कनें इतनी तेज थीं कि उसे खुद सुनाई दे रही थीं।

दरवाज़ा आधा खुला था।

कांता ने धक्का दिया—

कमरा अँधेरे में डूबा…

एसी की आवाज़…

और बेड…

खाली।

कांता की सांस रुक गई।

फिर उसकी नजर फर्श पर गई—

राजेश बेहोश था,

नाक से खून बहकर सूख चुका था।

कांता की चीख निकलती-निकलती रह गई।

वह दौड़कर नीचे बैठी,

उसका सिर अपनी गोद में रखा।

“राजेश… सुन सकते हो? प्लीज़…”

राजेश की पलकों में हल्की हरकत हुई।

कांता ने पानी उसके होठों तक पहुँचाया।

कुछ बूंदें अंदर गईं।

राजेश ने धीरे से आँखें खोलीं।

उसकी नज़र जैसे किसी धुँध से निकलकर

सीधे कांता की आँखों पर जाकर अटक गई।

कुछ सेकंड…

कमरा जैसे स्थिर हो गया।

राजेश ने कमजोर हाथ उठाया

और कांता की कलाई पकड़ ली।

पहले हल्का सा—

फिर थोड़ा कसकर।

“…मत जाओ…”

उसने फुसफुसाया।

कांता हिल सी गई।

राजेश ने आज तक कभी उससे ऐसी आवाज़ में नहीं बोला था।

वह उसके करीब झुक गई,

उसके माथे को छुआ—

उसका तापमान आग जैसा था।

“मैं यहाँ हूँ… कहीं नहीं जाऊँगी…”

कांता ने धीरे से कहा।

राजेश की नजरें उसके चेहरे पर अटक गई थीं—

गोल चेहरा, भीगी आँखें,

और चिंता से भरी साँसें।

कभी इतने करीब नहीं आए थे दोनों,

पर आज…

दूरी का कोई मतलब ही नहीं था।

राजेश ने धीरे से उसका हाथ अपने सीने पर रख दिया—

जैसे उसे यकीन दिलाना चाहता हो कि

“मैं अभी जिंदा हूँ… सिर्फ तुमसे जुड़ा हुआ।”

कांता के दिल की धड़कनें टूटने लगीं।

उसके चेहरे के इतने करीब राजेश की सांसें…

उसकी आँखों की गर्मी…

उसकी उंगलियों की पकड़…

उसने खुद को संयत किया—

“राजेश… अपनी आँखें मत बंद करो… सुन रहे हो?”

राजेश मुस्कुराया।

“तुम… पास रहती हो तो… मुझे डर नहीं लगता।”

कांता उसके और करीब झुक गई।

उनके चेहरे कुछ इंच की दूरी पर थे।

कमरे में अँधेरा था,

लेकिन इस दूरी पर

एक-दूसरे की धड़कनें साफ सुनाई दे रहीं थीं।

राजेश के होठ कांप रहे थे                                                                             तभी राजेश के फोन पर नोटिफिकेशन फ्लैश हुआ और इस की आवाज से        दोनों का ध्यान भी उस तरफ चला जाता है  

सावधान रहना अभी खतरा टला नहीं है                                                          ये मैसेज देख कर राजेश से ज्यादा कांता की सांसे तेज थी 

कांता एक जाबाज ऑफिसर थी लेकिन इस समय राजेश की जो हालत थी            इस कारण कांता डर रही थी 

राकेश जब उसकी तरफ देखता है तो पता नहीं कांता को क्या होता है                    वो एक दम से राजेश के गले लग जाती है ओर उस की आंखो से पानी                  बह रहा था

क्या तुम डर रही हो कांता, राकेश के इतना बोलते ही कांता को अपने आप          आप पर ही गुस्सा आ रहा था ,


                                           Part:- 2 जल्द ही....




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